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विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना: दिव्यांगजनों के लिए विवाह पर आर्थिक सहायता
1. योजना का उद्देश्य
- आर्थिक सहायता + सामाजिक स्वीकृति
दिव्यांग व्यक्तियों (कम से कम 40% विकलांगता) को विवाह करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन देने सहित सामाजिक स्वीकृति प्रदान करना योजना का प्रमुख उद्देश्य है। यह पहल दिव्यांगता के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक बनाने तथा विवाह में आर्थिक बाधाओं को कम करने का काम करती है - निषेधात्मक सोच में बदलाव
सरकार की मंशा है कि शादी‑विवाह जैसी जीवन की अहम घटनाओं में दिव्यांग जोड़ों को समाज से बराबरी और सम्मान मिले। इस आर्थिक सहायता का उद्देश्य उनकी आत्म‑सम्मान और आत्म‑निर्भरता को सशक्त करना भी है
2. उत्तर प्रदेश की “दिव्यांगजन विवाह‑विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना”
🗓️ पृष्ठभूमि और शुरुआत
- उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना का संचालन 1997 से कर रही है
💰 वित्तीय सहायता का स्वरूप
- यदि केवल वर (दुल्हा) दिव्यांग है → ₹15,000
- यदि केवल वधू (दुल्हन) दिव्यांग है → ₹20,000
- यदि दोनों दिव्यांग हैं → ₹35,000
–– यह राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में ई‑पेमेंट के माध्यम से भेजी जाती है
https://www.bharatupdatenews.com/vivah-protsahan-puraskar-yojana-up
✅ पात्रता (Eligibility Criteria)
- विकलांगता: न्यूनतम 40% का प्रमाण-पत्र अनिवार्य
- दुल्हन – 18 से 45 वर्ष
- दूल्हा – 21 से 45 वर्ष
📝 आवेदन प्रक्रिया
- विवाह के पश्चात ऑनलाइन आवेदन—मुख्य पोर्टल है divyangjan.upsdc.gov.in
📊 सांख्यिकीय परिदृश्य
- 2017‑18 से अब तक लगभग 5,893 जोड़े का लाभ हुआ
- वित्त वर्ष 2024‑25 में ₹2.64 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया, जिसमें 1,131 जोड़ों के लिए लक्ष्य रखा गया था; अभी तक 819 जोड़े लाभान्वित हो चुके हैं
3. अन्य राज्यों में समान पहलें
🏛️ अन्य राज्य उदाहरण
- गाज़ियाबाद (UP जिल्हा): वे भी ₹15k/₹20k/₹35k घरेलू इनाम देते हैं ।
- अन्य राज्यों, जैसे छत्तीसगढ़/blabla जिलों में कुछ स्थानीय योजनाएं विकसित हो रही हैं, लेकिन सटीक जानकारी कम प्रकाशित है।
4. योजना का सामाजिक प्रभाव
- आर्थिक सहायता, जिससे विवाह की तैयारियों में सहूलियत होती है।
- मनोवैज्ञानिक आत्मबल, क्योंकि राजकीय प्रोत्साहन से दिव्यांग व्यक्तियों को समाज से सम्मान की अनुभूति होती है
- समावेशी समाज, जहाँ दिव्यांग भी सामान्य जीवन की भूमिकाओं में पूर्ण रूप से भाग ले पाते हैं।
5. चुनौतियाँ और सुधार के सुझाव
- जागरूकता की कमी
कई लाभार्थी योजना से अनजान हैं, विशेषकर दूरदराज क्षेत्रों में। - डिजिटल साक्षरता की बाधा
ऑनलाइन आवेदन हेतु इंटरनेट इस्तेमाल में कठिनाई होती है। समाधान: सरकारी सूचना केंद्र, पंचायत‑स्तरीय सहायता। - दस्तावेज़ी प्रक्रिया, विशेषकर विकलांगता/आयु प्रमाण संग्रहन में दिक्कतیں होती हैं।
- जिला‑स्तरीय प्रमाणीकरण में देरी
सरकारी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए 'वन‑स्टॉप सेवा केंद्र' और मोबाइल काउंटर शुरू करना उपयोगी रहेगा।
https://www.bharatupdatenews.com/vivah-protsahan-puraskar-yojana-up
6. सुझावित सुधार
क्षेत्र |
सुझाव |
जन जागरूकता |
स्थानीय समाचार-पत्र, रेडियो, पंचायत एवं स्कूलों में प्रचार |
सरल आवेदन प्रणाली |
मोबाइल और ऑफ़लाइन आवेदन की सुविधा; सहायक मोबाइल वैन |
तीव्र सत्यापन |
जिला अधिकारियों में निर्धारित समय सीमा, मोबाइल ट्रैकिंग |
समयबद्ध भुगतान |
विवाह की समयसीमा से पहले भुगतान सुनिश्चित करना |
फ़ीडबैक प्रणाली |
लाभार्थियों से प्रतिक्रियाएँ लेकर प्रक्रिया सुधारें |
7. अंतःकलन
“विवाह‑विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना” विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की यह पहल दिव्यांगता से जुड़े आर्थिक और सामाजिक अवरोधों को हटाकर एक समावेशी और सम्मानजनक समाज का निर्माण करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। ₹15,000–35,000 की राशि दिव्यांग व्यक्ति या दंपत्ति को शादी की तैयारी में मदद तो करती ही है, साथ ही यह समाज में दिव्यांग लोगों के प्रति दृष्टिकोण और स्वीकृति में सकारात्मक बदलाव का माध्यम भी बनी है। हालांकि, इसकी सफलता की राह में अभी भी जागरूकता, डिजिटल प्रवाह, तथा सीमा‑बद्ध दस्तावेजी प्रक्रिया जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
योजनाओं का प्रसार और प्रभाव बढ़ाने के लिए सरकार को चाहिए कि ज़िला‑स्तर पर सक्रिय सूचना अभियान चलाए, सहायक आवेदन केंद्र चलाए, प्रमाण‑प्रक्रिया तेज़ करे, और समयबद्ध सीधे बैंक भुगतान की व्यवस्था पर ज़ोर दे।


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