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पंचायत कल्याण कोष योजना: पंचायत प्रतिनिधियों के आश्रितों के लिए आर्थिक सहायता
1. योजना का परिचय और उद्देश्य 🌟
पंचायत कल्याण कोष योजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग द्वारा की गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिनांक 15 दिसंबर 2021 को घोषणा की थी, और यह योजना 16 दिसंबर 2021 से प्रभावी हो गई
इस योजना का लक्ष्य है:
पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों—ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उनके सदस्यों—के निधन की स्थिति में उनके आश्रितों को वित्तीय सहायता प्रदान करना। इससे मृतक प्रतिनिधियों के परिवार आर्थिक रूप से स्थिर रह सकें।
आत्महत्या या आपराधिक गतिविधियों में शामिल प्रतिनिधियों के परिवार को यह सहायता नहीं दी जाएगी
2. लाभार्थी और राशि
पद और सहायता राशि:
- ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष: ₹10 लाख
- जिला पंचायत सदस्य: ₹5 लाख
- क्षेत्र पंचायत सदस्य: ₹3 लाख
- ग्राम पंचायत सदस्य: ₹2 लाख
इसके अतिरिक्त:
- यह सहायता पद पर रहते हुए आकस्मिक या दुर्घटनावश मृत्यु के समय ही मान्य है
- प्रतिनिधियों की "पद पर रहते हुए मृत्यु", आत्महत्या या आपराधिक मामलों को छोड़कर, पर केंद्रित है।
https://www.bharatupdatenews.com/panchayat-kalyan-kosh-yojana-up
3. योजना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्थापना
मुख्यमंत्री ने 15 दिसंबर 2021 को ग्राम उत्कर्ष समारोह में कोष की घोषणा की । इसके बाद शासनादेश (16 दिसंबर 2021) जारी होते ही कोष का संचालन आरंभ हुआ। मार्च 2022 में गाइडलाइन स्पष्ट की गईं
- नामित अधिकारियों व नोडल संस्थाएं:
- जिला स्तर पर जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO)
- राज्य स्तर पर निदेशक पंचायती राज विभाग
- वित्त—50 करोड़ रुपये का आरंभिक फंड राज्य वित्त आयोग से स्वीकृत
4. आवेदन प्रक्रिया
ऑनलाइन आवेदन:
- मृतक प्रतिनिधि के पारिवारिक सदस्य/आश्रित वेबसाइट prdfinance.up.gov.in पर दर्ज करें
आवश्यक दस्तावेजों में शामिल हैं:
- मृतक की पहचान, निधन का प्रमाण
- पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट या डॉक्टर प्रमाणपत्र (उपयुक्त स्थिति में)
- ग्राम/खंड विकास अधिकारी द्वारा जारी मृत्यु प्रमाणपत्र
- बैंक खाते का विवरण
- अन्य सहायक दस्तावेज (रिलेशनशीप, जाति/आय प्रमाण, मोबाइल आदि)
सत्यापन की प्रक्रिया:
- जिला पंचायत राज अधिकारी तथ्यांक जांचकर जिलाधिकारी को भेजते हैं।
- राज्य स्तर पर निदेशक पंचायती राज अप्रूवल के बाद PFMS प्रणाली द्वारा राशि सीधे परिवार के बैंक खाते में ट्रांसफर होती है
5. योजना के कार्यान्वयन और परिणाम
- पहली तिमाही में पाँच जिलों (अमरोहा, अमेठी, फिरोजाबाद, बिजनौर, बुलन्दशहर) से 7 आवेदन आए, जिसमें 6 ग्राम प्रधानों (₹10 लाख) व 1 ग्राम सदस्य (₹2 लाख) के परिवारों को कुल ₹62 लाख की आर्थिक सहायता दी गई
- अन्य जिलों जैसे लखीमपुरखीरी में भी 5 परिवारों को सहायता स्वीकृत हुई—जिसमें प्रधान (₹10 लाख) और ग्राम सदस्य (₹2 लाख) शामिल थे ।
- मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कई जिलों में इस योजना को सकारात्मक रूप से लिया गया और इसका स्वागत किया गया
6. कोष की संरचना और वित्तीय स्थिरता
- राज्य वित्त आयोग के अंतर्गत ₹50 करोड़ की निधि आरक्षित की गई थी
- निधि पर अर्जित ब्याज भी पुनः कोष में जमा कर विकास तथा दीर्घकालीन सहायता सुनिश्चित करने की योजना है।
7. योजना की व्यापकता और सामाजिक प्रभाव
सामाजिक पक्ष:
- पंचायत प्रतिनिधियों का आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से होना आम है; अथवा ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं।
- आकस्मिक निधन से परिवार गम्भीर संकट में पड़ सकता है—इस योजना से एक महत्वपूर्ण सुरक्षा पल्ला स्थापित हुआ
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सकारात्मक प्रतिक्रिया:
- प्रतिनिधियों ने इसे एक "ऐतिहासिक" निर्णय बताया है, जिसमें सरकार ने उनके कर्तव्यों का सम्मान किया है ।
8. चुनौतियाँ और सिफ़ारिशें
आवेदन प्रक्रिया में बाधाएँ:
- ग्रामीण इलाकों में डिजिटल साक्षरता, नेटवर्क व लैपटॉप/मोबाइल की कमी अभी भी रोड़ा है।
- दस्तावेजों में गलतियाँ होने पर कई आवेदन वापस भेजे जाते हैं।
- जिला स्तर पर प्रमाण-पत्रों के सत्यापन में देरी हो सकती है।
सुधार की दिशा में कदम:
- मोबाइल मैत्री कियोस्क या पंचायत स्तर पर सहायता केंद्र।
- DPRO कार्यालयों में हेल्पडेस्क की स्थापना।
- दस्तावेजीय मार्गदर्शन हेतु नियमित शिविर।
- समय‑बद्ध ट्रैकिंग: पंजीकरण, जांच, जिला स्तर स्वीकृति, राज्य स्तर अप्रूवल सभी पारदर्शी।
9. निष्कर्ष
पंचायत कल्याण कोष योजना उत्तर प्रदेश सरकार का एक सराहनीय और संवेदनशील प्रयास है, जिसमें पंचायत प्रतिनिधियों के आकस्मिक निधन की स्थिति में उनके परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। यह केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि प्रतिनिधियों के योगदान का सम्मान भी है। थोड़ी और जागरूकता और पटल सुधार से यह योजना और अधिक प्रभावशाली हो सकती है।
सरकार को चाहिए कि इस योजना के प्रचार‑प्रसार, प्रशिक्षण और अवसंरचना को और प्रभावी बनाते हुए अधिक सहूलियत और पारदर्शिता लागू करे। यथासंभव समय में ऑनलाइन प्रणाली को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाकर हर पात्र आश्रित इस सुरक्षा के घेरे में लाया जा सके।


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