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हिंदू धर्म में एकादशी और उसकी पूजा विधि का विशेष महत्व है। प्रत्येक एकादशी भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बेहद पवित्र मानी जाती है। इस दिन भक्त उपवास रखकर और श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से पापों का नाश होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
साल में कुल 24 एकादशी होती हैं, हर माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है। अधिकमास होने पर यह संख्या 26 तक पहुंच सकती है। सनातन धर्म में एकादशी व्रत को पापों से मुक्ति और लक्ष्मी-नारायण के आशीर्वाद का साधन माना जाता है।
वर्तमान में भाद्रपद मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है और इसकी एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं में इस व्रत का महत्व अत्यंत बड़ा है। कहा जाता है कि इस दिन का व्रत रोग-दोष, दुख-दर्द को दूर करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। इतना ही नहीं, इस व्रत का पालन करने वाले साधक को मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है।
अजा एकादशी की कथा सुनने मात्र से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। यदि कोई भक्त इस दिन सच्चे मन से व्रत, भजन और कीर्तन करता है, तो उसे भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। आगे जानते हैं अजा एकादशी का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
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