views
Secrets of Mehandipur Balaji | मेहंदीपुर बालाजी के रहस्य
प्राचीन काल से ही भूत-प्रेत और बाधाओं को दूर करने के लिए मेहंदीपुर बालाजी धाम में भक्तगण आते है। आइये जानते है, मेहंदीपुर बालाजी धाम से जुड़े अन्य कुछ रहस्य-
आमतौर पर हिन्दू धर्म में मंदिरों में प्रसाद चढाने का विधान माना जाता है। लेकिन मेंहदीपुर बालाजी में प्रसाद चढ़ाना और उसे वितरित करना बिल्कुल भी सही नहीं बताया जाता है। मेंहदीपुर बालाजी धाम में प्रसाद चढ़ाने व उस साथ घर लेकर जाने की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है की जो भी व्यक्ति यहां से प्रसाद घर लेकर जाता है, उसे नकारात्मक और बुरी शक्तियां परेशान कर सकती है।
मेहंदीपुर बालाजी धाम से एक नहीं बहुत से किस्से जुड़ें हुए है। उन्ही में से एक यह भी बताया जाता है कि मंदिर परिसर में विराजमान भगवान हनुमान की मूर्ति में बायी ओर एक छिद्र है। कहा जाता है कि इस छिद्र में से लगातार जल की एक धारा बहती रहती है। मान्यता है कि यह जल बजरंगबली हनुमान का पसीना है। मेहंदीपुर बालाजी धाम के पास रह रहे स्थानीय लोग के द्वारा खासतौर पर यह जानकारी बताई जाती है।
3.मेहंदीपुर में प्रवेश से पहले करें कुछ नियमों का पालन
मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर परिसर में प्रवेश करने से सभी श्रद्धलुओं को कुछ नियमों का पालन आवश्यक रूप से करना चाहिए। यह नियम इस प्रकार से है-
· प्याज, लहसुन और नॉन-वेज से परहेज करें।
· मंदिर में किसी से प्रकार का प्रसाद ग्रहण न करें।
· अपने साथ किसी भी प्रकार का कीमती सामान न रखे।
· धाम में किसी पुजारी या अन्य किसी व्यक्ति को पैसे न दें।
· मंदिर के अंदर लोगों की पीड़ा का मजाक कभी न बनाएं।
मेंहदीपुर बालाजी के पवित्र धाम में हनुमान जी के अलावा दो अन्य मूर्तियां भी विद्यमान है। यह मूर्तियां बाबा भैरों और प्रेतराज सरकार की है, भैरों नाथ को यहां कोतवाल कप्तान के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि मंदिर में हर दिन दोपहर 2 बजे बाबा जा दरबार लगता है। इस दरबार में भूत-बाधा से ग्रसित सभी लोगों की पेशी लगती है और उनके ऊपर से सभी प्रकार के भूत-प्रेतों को हटाया जाता है। मेंहदीपुर धाम में लोग दूर-दूर से भूत-पिचाश जैसी बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए आते है।
5. दो श्रेणियों में बांटा जाता है प्रसाद
मेंहदीपुर बालाजी धाम में यदि कोई भक्त प्रसाद चढ़ाना चाहते है, तो वे दो श्रेणी में बालाजी महाराज को प्रसाद अर्पित कर सकते है। यह दो श्रेणियां- दरख्वास्त और अर्जी के रूप में जानी जाती है। बालाजी महाराज के दरबार में चढ़ाएं जाने वाली यह दरख्वास्त या हाजिरी दो बार खरीदी जाती है और अर्जी का प्रसाद तीन थालियों में अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि दरख्वास्त और अर्जी अर्पित करने के बाद व्यक्ति को तुरंत वहां से निकल जाना चाहिए। इसके साथ ही घर लौटते समय कभी बह पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
इस प्रकार से मेंहदीपुर बालाजी धाम में जाने से पहले भक्तगणों को इन कुछ रहस्यों के बारे में एक बार ज़रूर पढ़ना चाहिए। यह रहस्य बहुत समय से मेंहदीपुर बालाजी के इस पवित्र धाम से जुड़े हुए है, जिनके बारे में श्रद्धालुओं को जानकारी होना आवश्यक है। यदि आप भी पहली बार मेंहदीपुर बालाजी में दर्शन का विचार कर रहे है, तो इन कुछ विशेष बातों का ज़रूर ध्यान रखे। बालाजी धाम में सवामणी (mehandipur balaji sawamani) का भी विशेष महत्व बताया जाता है। आज के आधुनिक समय में भारत के किसी भी कोने से आप घर बैठे आसानी से सवामणी (mehandipur balaji sawamani booking) ऑनलाइन माध्यम से भी बुक करवा सकते है।
Comments
0 comment