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ममलेश्वर मंदिर: पहलगाम का ऐतिहासिक शिव मंदिर जहां भगवान शिव ने काटा था गणेश का शीश
कश्मीर घाटी के सुरम्य नगर पहलगाम में स्थित ममलेश्वर मंदिर (Mamaleshwar Temple) न केवल अपनी प्राचीनता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह वह पवित्र स्थल है जहाँ कथानुसार भगवान शिव (Lord Shiva) ने अपने पुत्र गणेश का शीश काटा था।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
ममलेश्वर मंदिर (Mamaleshwar Temple) की स्थापना लगभग चौथी शताब्दी में हुई थी, जो इसे कश्मीर घाटी के प्राचीनतम मंदिरों में से एक बनाती है। यह मंदिर ममलाका गांव में स्थित है, जो पहलगाम से लगभग एक मील की दूरी पर है। मंदिर का नाम ‘ममलेश्वर’ या ‘ममल’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘जाओ मत’, जो इस स्थान की पवित्रता और महत्व को दर्शाता है।
पौराणिक कथा
ममलेश्वर मंदिर (Mamaleshwar Temple) से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है, जिसके अनुसार एक बार देवी पार्वती स्नान करने जा रही थीं। उन्होंने अपने पुत्र गणेश जी (Ganesh Ji) को द्वार पर बैठा दिया और निर्देश दिया कि जब तक वे न लौटें, तब तक किसी को भी अंदर प्रवेश न करने दिया जाए। माता की आज्ञा का पालन करते हुए गणेश जी (Ganesh Ji) बाहर पहरा देने लगे।
उसी समय भगवान शिव (Lord Shiva) वहां पहुंचे और पार्वती जी से मिलने के लिए भीतर जाने लगे। लेकिन द्वार पर विराजमान गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। शिव जी ने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन गणेश जी माता की आज्ञा का पालन करते हुए डटे रहे। इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया।
जब माता पार्वती बाहर आईं और ये दृश्य देखा, तो वे अत्यंत दुखी और क्रोधित हो गईं। उन्होंने शिव जी को सारी बात समझाई और अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की। शिव जी को अपनी गलती का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने एक हाथी का सिर लाकर गणेश जी के शरीर से जोड़ा और उन्हें नया जीवन प्रदान किया।


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